गर्मी के दिनों खुले जंगल में नहीं छोड़े जाएंगे चीते, बाड़े में होंगे विशेष इंतजाम

श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क में सर्दियों का मौसम अनुकूल होने के चलते अब चीता को गर्मियों में खुले जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। गर्मी से बचाव के लिए बाड़े में ही विशेष इंतजाम के तहत शेड, छोटे तालाब व स्प्रिंकलर से शावर की व्यवस्था की जाएगी। कूनो में सर्दियां बीतने के साथ ही 13 चीते और 13 शावक हो गए हैं, जिन्हें गर्मियों में सही-सलामत रखने का प्रयास है, क्योंकि पिछली गर्मियों में मार्च से लेकर अगस्त तक ही छह चीता और तीन शावकों की मौत हो गई थी, जबकि सर्दी में केवल एक ही चीता की मौत हुई है।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते अब तक यहां सभी मौसम बिता चुके हैं, जिसमें गर्मी ने उन्हें ज्यादा परेशान किया है। कूनो में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस होने और बारिश-उमस के कारण चीतों में संक्रमण के मामले भी सामने आए थे। पिछले साल 27 मार्च को जन्मे ज्वाला चीता के तीन शावकों ने मई में ही दम तोड़ दिया था। वहीं, 26 मार्च को साशा चीता की मौत के बाद 23 अप्रैल को उदय, 9 मई को दक्षा, 11 जुलाई को तेजस, 14 जुलाई को सूरज, 2 अगस्त को धात्री की मौत हो गई।
कूनो वन मंडल के डीएफओ थिरुकुराल आर ने बताया कि पिछले साल के अनुभव देखते हुए गर्मी के सीजन में चीते और शावकों के लिए बाड़े में ही इंतजाम किए जा रहे है। अभी जंगल में चीतों को छोड़ने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि गर्मी में खुले जंगल में चीतों की देखरेख आसान नहीं होगी। बाड़े में ही शेड तैयार कराए जाएंगे।
अभी केवल वीरा और पवन नाम के दो चीते ही खुले जंगल में हैं, हालांकि पार्स से सटी कूनो नदी सहित तमाम छोटी बड़ी नदियां और झरने हैं। इनमें साल भर पानी रहता है फिर भी गर्मी के सीजन में कुछ इलाकों में पानी की किल्लत रहती है। पार्क के बाड़ा क्षेत्र में फव्वारे लगाने के साथ तालाब बनाएंगे, जिनके किनारे ठंडक रहे और वहां चीता और शावक गर्मी से बच सकें।

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