बीते कुछ सालों में आधार कार्ड देश में एक महत्वपूर्ण नो योर कस्टमर (KYC) दस्तावेज के रूप में उभरा है। आज हर सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। आधार कार्ड में किसी भी व्यक्ति की पहचान से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध रहती है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से जारी 12 अंकों के आधार नंबर को भी दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी वयस्कों के लिए तैयार की गई है, जिसमें मानक आधार कार्ड शामिल है। वहीं दूसरी श्रेणी को बच्चों को लिए डिजाइन किया गया है, जिसे बाल आधार कार्ड भी कहा जाता है।
यूआईडीएआई की वेबसाइट के मुताबिक, 5 साल से कम उम्र के बच्चों का जो आधार तैयार किया जाता है, वह नीले अक्षरों में तैयार होता है। यही कारण है कि इसे ब्लू आधार कार्ड कहा जाता है। इस आधार कार्ड को माता-पिता की पहचान के साथ अपडेट किया जाता है। 5 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे का यह ब्लू आधार कार्ड मानक आधार कार्ड में तब्दील कर दिया जाता है।
आधार अधिनियम, 2016 की धारा 3(1 ) के अनुसार, देश का हर निवासी नामांकन की प्रक्रिया के दौरान अपनी जनसांख्यिकीय जानकारी और बायोमेट्रिक जानकारी जमा करके बच्चों सहित आधार संख्या प्राप्त करने का हकदार है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नामांकन के लिए बायोमेट्रिक जानकारी एकत्र नहीं की जाती है, यही कारण है कि बच्चे का आधार नंबर माता-पिता में से किसी एक के आधार से लिंक होता है।
