नई दिल्ली। देश के लोकसभा चुनाव के इतिहास को देखा जाए तो चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र का विशेष महत्व है। देश में सत्ता का प्रतीक माने जाने वाले लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते हैं। यहां से प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया संबोधन देश की दिशा तय करता है। ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र भी देश का राजनीतिक भविष्य तय करता है।
सियासी गलियारों में यह आम चर्चा रहती है कि चांदनी चौक के मतदाता जिस पार्टी अपना विश्वास जताते हैं, वही राजनीतिक पार्टी देश की गद्दी भी संभालती है। चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र के चुनावी इतिहास में सिर्फ दो बार (1967 और 1991) ऐसा हुआ है कि इस सीट से जीत प्राप्त करने वाली पार्टी की केंद्र में सरकार नहीं बनी है।
इस संसदीय क्षेत्र से अभी तक सिर्फ एक मुस्लिम नेता सिकंदर बख्त लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। जनता पार्टी ने मुस्लिम नेता सिकंदर बख्त को साल 1977 में चांदनी चौक से मैदान में उतारा था और उन्होंने यहां से शानदार जीत हासिल की थी। चांदनी चौक सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच लगातार कांटे की टक्कर होती रही है।
चांदनी चौक सीट पर अभी तक 9 बार कांग्रेस और 7 बार जनसंघ, जनता पार्टी एवं भाजपा के प्रत्याशियों को विजय प्राप्त हुई है। बीते 2 लोकसभा चुनावों में भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन को यहां के मतदाताओं ने जीत दिलाकर संसद तक पहुंचाया है। चांदनी चौक सीट की जनसंख्या में मिलाजुला समीकरण देखने को मिलता है। यहां मुस्लिम और वैश्य मतदाता बड़ी संख्या में हैं। साथ ही यह क्षेत्र दिल्ली के बड़े व्यापारिक केंद्रों में से भी एक है।
