बॉलीवुड के इस विलेन को पान की दुकान पर ऑफर हुई थी पहली फिल्म

इंदौर। बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर प्राण को भले ही आज की जनरेशन न जानती हो, लेकिन एक दौर था जब दर्शकों को अपने फिल्मी हीरो के लिए डर लगता था क्योंकि विलेन रोल में प्राण होते थे। ये उस समय की बात है, जहां फिल्मों की कहानी में शुरू में ही विलेन और हीरो का पता लग जाता था। प्राण सच में हिंदी सिनेमा के सबसे खतरनाक खलनायक में से एक थे। प्राण की अदाकारी और उनकी डायलॉग डिलीवरी का हर कोई कायल था। एक्टर का असली नाम किशन सिकंद अहलूवालिया था, बाद में उन्होंने अपना स्क्रीन नाम प्राण रख लिया था।

सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्राण ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्म दी है। प्राण ने अपना डेब्यू के हीरो के रोल से किया था। उनका जन्म पंजाब के लाहौर में हुआ था और दिल्ली में वे पले बढ़े थे। उन्होंने अपने पिता के साथ पूरा हिंदुस्तान घुमा।

प्राण अकेले ऐसे विलेन रहे हैं, जिन्होंने हीरो से ज्यादा फीस ली है। उन्होंने कभी भी अपना एक लुक किसी दूसरी फिल्म में नहीं दोहराया। फिल्मों में आने से पहले प्राण एक फोटोग्राफर के रूप में काम करते थे। उन्होंने कभी भी फिल्मों में आने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही प्लान किया था।

1939 में एक दिन जब वे किसी दुकान पर खड़े होकर पान चबा रहे थे, तो लेखक वली मोहम्मद की नजर उन पर पड़ी। उस समय वली फिल्म निर्माता दलसुख एम पंचोली के साथ पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ के लिए काम कर रहे थे। उन्हें इस फिल्म के लिए किसी खलनायक के चेहरे की तलाश थी।

इसके बाद उन्होंने प्राण को मिलने बुलाया। लेकिन प्राण ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। जब दोबारा दोनों मिले, तो वली ने प्राण को फिल्म में काम करने के लिए मना लिया। इस तरह प्राण ने फिल्म यमला जट में काम किया, जो कि उनकी पहली फिल्म थी।

पहली फिल्म के बाद से ही प्राण ने वली मोहम्मद को अपना गुरु मान लिया। प्राण को फिल्म में शानदार अभिनय के लिए फिल्म फेयर अवाॅर्ड भी मिला। इतना ही नहीं, भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित भी किया गया। बंटवारे से पहले प्राण को करीब 22 फिल्मों में नेगेटिव रोल मिला। 2013 में 93 साल की उम्र में प्राण ने अंतिम सांस ली।

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