इंदौर। हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा को चुनाव लड़ाने के खूब कयास लगाए गए। माना जा रहा था कि प्रियंका वाड्रा को पार्टी रायबरेली से चुनावी मैदान में उतार सकती है, इसी सीट का उनकी मां सोनिया गांधी लंबे समय तक प्रतिनिधित्व करती आई है, लेकिन अब बार की तरह ही इन अटकलों पर विराम लग गया और कांग्रेस ने इस सीट से राहुल गांधी को टिकट दिया। लिहाजा इस बार भी प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है।
वैसे तो प्रियंका वाड्रा का राजनीति में औपचारिक पदार्पण 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ था, लेकिन वे राजनीति में 2004 से ही सक्रिय हो चुकी थीं। उस समय प्रियंका गांधी ने अपना पहला चुनावी भाषण दिया, साथ ही भाई राहुल गांधी के लिए अमेठी और मां सोनिया गांधी के लिए रायबरेली में चुनाव प्रचार किया। इस बार प्रियंका वाड्रा संगठन में अनौपचारिक रूप से कई बार सक्रिय दिखीं, लेकिन उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई और न ही उन्होंने अपने भाई राहुल गांधी की तरह चुनाव लड़ा।
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। उस दौरान भी अटकलें चली कि प्रियंका वाड्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी, हालांकि इन अटकलों पर तब विराम लग गया, पार्टी ने वाराणसी से अजय राय को टिकट दिया। हालांकि कांग्रेस इस चुनाव में बुरी तरह पीट गई और उसे उप्र की 80 में से सिर्फ एक सीट पर ही जीत मिली।
2022 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी प्रियंका वाड्रा के पास थी। चुनाव में उन्होंने ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं कैंपेन’ जोर शोर से चलाया। इस चुनाव में अटकलें थी कि प्रियंका वाड्रा विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं, साथ ही यह भी कयास लगाए गए कि कांग्रेस चुनाव जीतती है तो प्रियंका वाड्रा को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन चुनाव परिणाम में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और उसे 403 में से सिर्फ दो सीटों पर ही जीत मिली। इस हार के बाद उन्होंने कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद में उन्हें बगैर किसी प्रभार के कांग्रेस महासचिव बनाया गया था।