राष्ट्रीय स्वयं सेवक के प्रांत संघ चालक पाण्डेय ने कहा- संघ के प्रति लोगों में बढ़ रही है रुचि, जानिए उन्होंने दी क्या और जानकारी

भोपाल। (राष्ट्रीय स्वयं सेवक) संघ के मध्यभारत प्रांत के संंघचालक अशोक पाण्डेय ने कहा है कि मध्यप्रदेश में संघ कार्य में वृद्धि हो रही हैै।

आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि संघ समाज परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यही वजह है कि आज लोग संघ से जुड़ना चाहते है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है। प्रांत संघचालक पाण्डेय शनिवार को राजधानी के विश्व संवाद केंद्र में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस मौके पर पाण्डेय ने पिछले दिनों हरियाणा के सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र पट्टीकल्‍याणा, समालखा हुई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के संबंध में जानकारी दी।

पाण्डेय ने दी यह जानकारी

प्रांत संघचालक ने बताया कि 12 माचे से शुरु हुई तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक का शुभारंभ सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारतमाता के चित्र पर पुष्पार्पित कर किया। प्रतिनिधि सभा की बैठक में वार्षिक प्रतिवेदन सहित आगामी कार्य दृष्टि के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्‍येक भाग में संघ कार्य में वृद्धि हो रही है। 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71,355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निभा रहा है। अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है। वर्ष 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है। वर्ष 2020 में 38,913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थीं। 2023 में यह संख्या बढक़र 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है। संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं। इनमें मध्यप्रदेश के 215 कार्यकर्ता शामिल हैं, जिसमें मध्यभारत से 110, मालवा से 57 और महाकौशल से 48 कार्यकर्ता शताब्दी विस्तारक निकले हैं।

प्रांत संंघचालक ने बताया कि संघ की दृष्टि से मध्‍यप्रदेश में तीन प्रांत मध्‍यभारत, मालवा एवं महाकौशल आते हैं। तीनों प्रांतों में संघ कार्य में वृद्धि हो रही है। मध्‍यभारत प्रांत में वर्ष 2022 में 1698 शाखाएं लगती थी जो वर्ष 2023 में बढ़कर 2149 हो गई हैं। मालवा में 2618 स्‍थानों पर 3977 शाखाएं लग रही हैं। इसी प्रकार महाकौशल में 1325 स्‍थानों पर 1797 शाखा लग रही हैं। उन्होंने बताया कि आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास देशभर से 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं। दैनिक शाखाओं में भी युवाओं की रुचि बढ़ रही है। संघ की 60 प्रतिशत शाखाएं विद्यार्थी शाखाएं हैं। पिछले एक वर्ष में 121137 युवाओं ने संघ का प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया है। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे, जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है। संघ की शाखाएं समाज परिवर्तन का आधार बन रही हैं। शताब्दी वर्ष को दृष्टिगत रखते हुए संघ सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण और नागरिक कर्तव्यों को लेकर विशेष रूप से प्रयास करेगा।

उन्होंने बताया कि मध्यभारत प्रांत के सभी जिला केंद्रों पर शारीरिक प्रधान कार्यक्रम करने की योजना बनी, विशेषकर भोपाल में 11 दिसंबर 2022 को शारीरिक प्रधान कार्यक्रम का प्रदर्शन हुआ। 1834 स्वयंसेवकों द्वारा दंड के प्रगत प्रयोग, घोष वादन, समता आदि का प्रदर्शन हुआ। इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत व सरकार्यवाह उपस्थित थे। भोपाल की एक शाखा द्वारा सेवाभारती के सहयोग से एम्स हॉस्पीटल में ‘सार्थक सेवा केंद्र’ का संचालन किया जा रहा है, जहाँ मरीजों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करायी जाती है। संघचालक ने बताया कि पूरे देश में जिस प्रकार संघ कार्य बढ़ा है उसी प्रकार मध्‍यभारत प्रांत में भी कार्य विस्‍तार तेज गति से हो रहा है। मध्यभारत प्रांत के राजगढ़ जिले को समरस जिला बनाने के प्रयास के अंतर्गत कार्यकर्ताओं ने स्थानीय सामाजिक चुनौती समरसता को केंद्रित कर 80% गावों में, बस्तियों में समरसता सर्वेक्षण व सामाजिक अध्ययन कराया। कुछ चिन्हित स्थानों पर समन्वय व सदभाव बैठकों का आयोजन किया गया।

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