डॉ. सचिन गुप्ता कर रहे थे गैरकानूनी रूप से सोनोग्राफी
भोपाल, 9 सितंबर 2022।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भोपाल के न्यायालय द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन करने पर डॉ. सचिन गुप्ता को एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 हज़ार रुपये के अर्थदण्ड की सजा दी गई है। डॉ. सचिन गुप्ता पूर्व में सिंधी कॉलोनी भोपाल में एस. एस. डायग्नोस्टिक सेण्टर का संचालन करते थे। सेण्टर पर स्थित सोनोग्राफी मशीन पर सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक के रूप में डॉ. पूर्वा त्रिपाठी का नाम दर्ज था।
शुक्रवार को मामले की जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि वर्ष 2015 में जिला प्रशासन एवं सीएमएचओ कार्यालय द्वारा डायग्नोस्टिक सेण्टर के निरीक्षण के दौरान अनेक कमियां पाई गई थीं। निरीक्षण में पाया गया कि डॉ. सचिन गुप्ता द्वारा सोनाग्राफी करने हेतु अधिकृत नहीं होने के बावजूद सोनोग्राफी की जा रही थी, जबकि पंजीयन में डॉ. गुप्ता एस. एस. डायग्नोस्टिक सेण्टर के मालिक के रूप में दर्ज थे। निरीक्षण दल द्वारा उक्त सेण्टर से एफ फॉर्म एवं एएनसी रजिस्टर जब्त कर सोनोग्राफी मशीन को सीलबंद किया गया था। न्यायालय में दायर परिवाद के आधार पर सेण्टर का पंजीयन निरस्त कर दिया गया था।
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उन्होंने बताया कि उक्त सेण्टर को गैरकानूनी रूप से सोनोग्राफी करते पाए जाने पर कलेक्टर एवं सक्षम प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी एक्ट द्वारा कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया एवं संबंधित के विरूद्ध प्रकरण क्रं. 5470/15 दर्ज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। गर्भधारण पूर्व और प्रसूति पूर्व निदान तकनीक ( लिंग चयन प्रतिषेद ) अधिनियम 1994 के नियम 3 का उल्लंघन पर धारा 23 के अंतर्गत परिवाद दायर किया गया, जिस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमर सिंह सिसोदिया द्वारा अपने फैसले में डॉ. सचिन गुप्ता को दोषी करार देते हुए एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
रिपोर्ट
प्रोग्रेस ऑफ़ इंडिया न्यूज