नई दिल्ली : ब्याज दरों में कटौती के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर सरकार का दबाव बढ़ता जा रहा है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक मंच से आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती की नसीहत दे दी. वहीं, उसी कार्यक्रम में मौजूद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पीयूष गोयल की नसीहत पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने इस बात का इशारा जरूर कर दिया कि दिसंबर में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में उचित निर्णय लिया जाएगा.
एक रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मुंबई में सीएनबीसी टीवी18 के एक कार्यक्रम में कहा कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती कर आर्थिक वृद्धि को गति देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति के कारण आरबीआई दर निर्धारण में दो साल तक कोई भी बदलाव नहीं कर पाया है. ब्याज दर तय करने में खाद्य मुद्रास्फीति का उपयोग एक ‘दोषपूर्ण सिद्धांत’ है. पीयूष गोयल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि आरबीआई को ब्याज दर में कटौती करनी चाहिए. आर्थिक वृद्धि को और बढ़ावा देने की जरूरत है. हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था हैं. हम और भी बेहतर कर सकते हैं.’
पीयूष गोयल ने आगे कहा कि वह पिछले 20 साल से खाद्य मुद्रास्फीति को ब्याज दरों में शामिल नहीं करने के पक्षधर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कि जब वह विपक्ष में थे, तब भी वे इसके विरोधी रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं लगातार कहता रहा हूं कि यह एक दोषपूर्ण सिद्धांत है.’ ब्याज दर ढांचा पर निर्णय लेते समय खाद्य मुद्रास्फीति पर विचार किया जाना चाहिए. खाद्य महंगाई का मुद्रास्फीति प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं है. यह मांग-आपूर्ति पर निर्भर करता है.
इसी कार्यक्रम में आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की नसीहत पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ब्याज दर निर्धारण करने वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति दिसंबर के पहले सप्ताह में होने वाली अपनी अगली बैठक में उचित निर्णय लेगी. अक्टूबर में सकल मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 6% के लक्ष्य से अधिक रही है. इस बारे में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई में समय-समय पर उतार-चढ़ाव के बावजूद इसे कम होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ने हाल के दिनों में लंबे समय तक जारी उथल-पुथल के दौर में भी बहुत अच्छी तरह से काम किया है.
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अभी कई तरह की बाधाएं हैं. इनमें बॉण्ड यील्ड में बढ़ोतरी, वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिम शामिल हैं. इसके बावजूद वित्तीय बाजारों ने मजबूती दिखाई है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है, जिसे मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे, स्थिर वित्तीय प्रणाली और मजबूत बाह्य क्षेत्र की वजह से बल मिल रहा है.