भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट में भूले वाटर हार्वेस्टिंग, बारिश में लाखों लीटर पानी बहकर हो रहा बर्बाद

भोपाल मेट्रो प्रबंधन ने दावा किया था कि बारिश की हर बूंद को सहेजा जाएगा, लेकिन वर्तमान में ट्रैक के पिलर से बहते पानी को देखकर साफ पता चलता है कि जिस पानी को सहेजा जा सकता था, उसकी फिलहाल बर्बादी ही हो रही है।

भोपाल मेट्रो ट्रैक से बारिश के दौरान पानी की बेजा बर्बादी हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक ट्रैक के नीचे रिचार्ज वेल नहीं बन सके हैं, जबकि डीपीआर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाए जाने का प्रविधान है।
भोपाल मेट्रो प्रबंधन ने दावा किया था कि बारिश की हर बूंद को सहेजा जाएगा, लेकिन वर्तमान में ट्रैक के पिलर से बहते पानी को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि जिस पानी को सहेजा जा सकता था, उसकी फिलहाल बर्बादी हो रही है। उधर, मेट्रो प्रबंधन का कहना है कि यह काम प्रोजेक्ट के अंतिम चरण का है, लेकिन जब प्रायोरिटी कारिडोर लगभग बनकर तैयार है और मेट्रो प्रबंधन दिसंबर तक कमर्शियल रन शुरू करने की कोशिश कर रहा है तो यह लापरवाही गंभीर चिंता का विषय बन जाती है।
प्रोजेक्ट के ये काम बाकी
मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि प्रायोरिटी कारिडोर में कमर्शियल रन इस साल के अंत तक भी शुरू नहीं हो पाएगा, क्योंकि प्रायोरिटी कारिडोर के कई कार्य अभी बाकी हैं। यह बात और है कि मेट्रो ने दूसरे फेस के काम शुरू कर दिए हैं, लेकिन वर्तमान में पहले ही फेस के कार्य दिसंबर तक शायद ही पूरे हो पाएं। वर्तमान में स्टील ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा मेट्रो स्टेशनों पर फिनिशिंग के काम को प्राथमिकता से किया जा रहा है, लेकिन अहम बात यह है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के काम को लेकर प्रबंधन गंभीर नजर नहीं आ रहा। यही वजह है कि ट्रैक से बारिश के दौरान लाखों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है।
यह थी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की योजना
भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल के साथ हर साल 20 लाख लीटर बारिश के पानी को सहेजने की योजना थी। इसके लिए एलीवेटेड ट्रैक के नीचे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने थे। गर्डर पर बारिश का जितना पानी आता, वह पाइप के जरिए भूगर्भ में जाता। प्रायोरिटी कारिडोर के आठ किलोमीटर के ट्रैक के साथ आठ स्टेशनों में बारिश के पानी को सीधे भूगर्भ में पहुंचाने के लिए पाइप लाइन डालनी थी, जिससे बरसात का पानी रिचार्ज वेल में जाता लेकिन अभी यह काम होना बाकी है।
इनका कहना है
एम्स से लेकर सुभाष नगर डिपो तक प्रायोरिटी कारिडोर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम अंडर कंस्ट्रक्शन है। चूंकि यह प्रोजेक्ट के अंतिम चरण का काम है, इसलिए इसको आखिरी में किया जाएगा। अभी पिलर पर पाइप लगाए जा रहे हैं।

 

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