इस दिन सभी विवाहित महिलाएं वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं। साथ ही अखंड सुहाग की कामना करती हैं।वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिला के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सभी विवाहित महिलाएं वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा करती हैं। साथ अखंड सुहाग की कामना करती हैं। कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में भगवान विष्णु, शिव जी और भगवान ब्रह्मा का वास होता है।
इस बार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 7 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 6 जून की शाम 6 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, वट सावित्री व्रत 6 जून, गुरुवार को रखा जा रहा है। वट सावित्री व्रत के दिन पूजा का शुभ समय सुबह 11.52 बजे से दोपहर 12.48 बजे तक रहेगा।