मूर्तिकार के बेटे समीर का नाम 12वीं की टाप टेन सूची में शामिल, इंजीनियर बनने का है सपना

धमतरी। मोबाइल, इंटरनेट व कोचिंग की दुनिया से दूर रहकर घर में ही हर रोज आठ घंटे की पढ़ाई करने वाले मूर्तिकार व किसान का बेटा समीर चक्रधारी ने कक्षा 12वीं बोर्ड की परीक्षा में 96.60 प्रतिशत प्राप्त कर प्रदेश के टापटेन सूची में चौथा स्थान प्राप्त किया है, जो धमतरी जिले के लिए गौरव की बात है। कक्षा 10वीं के बोर्ड में एक नंबर से टापटेन की सूची में चूकने के बाद कड़ी मेहनत करने ठाना और 12वीं में उन्हें सफलता मिल ही गया। समीर के इस उपलब्धि से उनके माता-पिता व स्वजन काफी खुश है। समीर आगे की पढ़ाई करके इंजीनियर बनना चाहते हैं।
धमतरी जिला अंतर्गत मगरलोड ब्लाक के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोथीडीह में अध्ययनरत कक्षा 12वीं में गणित विषय के छात्र समीर चक्रधारी पुत्र पुनेश्वर चक्रधारी ने 12वीं बोर्ड में 96.60 प्रतिशत प्राप्त कर प्रदेश के टापटेन सूची में चौथा स्थान प्राप्त कर स्कूल व जिले का नाम रोशन किया है। समीर के पिता पुनेश्वर चक्रधारी एक छोटा किसान व मूर्तिकार है। उनकी मां प्रमिला गृहणी है। एक बहन है। कड़ी मेहनत करके अपने पुत्र समीर चक्रधारी को पढ़ा रहे हैं। नौ मई को माध्यमिक शिक्षा मंडल से जारी कक्षा 12वीं के रिजल्ट से उनके बेटे का नाम प्रदेश के टापटेन सूची में चौथा स्थान आया, तो सभी खुशी से झूम उठे। परिवार समेत उनके गांव में खुशी की लहर है।
समीर चक्रधारी ने नईदुनिया को चर्चा में बताया कि 12वीं के टापटेन सूची में अपना नाम दर्ज कराना उनका लक्ष्य था। कक्षा 10वीं के मेरिट में एक अंक से चूकने के बाद 12वीं बोर्ड के टापटेन सूची में अपना नाम दर्ज कराने कड़ी मेहनत करके हर रोज आठ घंटे तक पढ़ाई किया। कोचिंग का सहारा नहीं लिया।
मोबाइल व इंटरनेट मीडिया से दूर रहा और घंटों मेहनत किया। शाम छह से रात 11 बजे व सुबह चार बजे से साढ़े आठ बजे तक हर रोज पढ़ाई करता था। शिक्षक-शिक्षिकाओं का उन्हें बेहतर सहयोग मिला। सरकारी स्कूल होने के बाद भी उन्हें शिक्षकों ने बेहतर ढंग से पढ़ाया। इसी का परिणाम है कि उन्हें 12वीं बोर्ड परीक्षा में अच्छा रिजल्ट मिला और प्रदेश के टापटेन सूची में अपना नाम दर्ज कराने का मौका मिला। समीर ने बताया कि आगे की पढ़ाई करके इंजीनियर बनना चाहता है।
समीर ने बताया कि माता-पिता मूर्ति बनाते हैं। वह बचपन से देख रहा है। ऐसे में माता-पिता के साथ हाथ बटाते हुए वह भी मूर्ति बनाना सीख गया है। भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति बना लेते हैं।
समीर चक्रधारी ने बताया कि क्रिकेट खेलना उन्हें काफी पसंद है। बचपन से गांव में कि्रकेट खेल रहे हैं।
मां का नाम प्रमिला चक्रधारी है। मां गृहणी है। उनके बहन लकेश्वरी चक्रधारी है। समीर के इस उपलब्धि पर स्कूल के प्राचार्य रोहित कुमार साहू, शिक्षक एलके निषाद, डीके मणिक, उषा निर्मलकर, एमके साहू, भोजराम कंवर, खिलेश्वरी धु्रव ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। शिक्षकों ने बताया कि उनके स्कूल से पहली बार समीर ने प्रदेश के टापटेन सूची में स्थान बनाया है, जो बड़ी उपलब्धि है।

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