रूरल सर्विस बॉन्ड के विरोध में उतरे जूनियर डॉक्टर्स, काली पट्टी बांधकर किया काम

इंदौर। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने शनिवार को अलग-अलग मांग को लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता से मिले। जिसमें कहा गया कि मप्र से रूरल सर्विस बॉन्ड को खत्म किया जाए, क्योंकि एक चिकित्सक 10 से 15 वर्षों के अथक परिश्रम और त्याग के बाद यह डिग्री हासिल करता है, उसे इस तरह बॉन्ड करवाना या उसके पैसे भरवाना अनैतिक है।
चिकित्सा शिक्षा के अलावा और किसी भी शिक्षा पद्धति या विभाग में इस तरह की बंद पद्धति अभी लागू नहीं है। अगर कोई चिकित्सक रूरल सर्विस पर जाता है, तो उसे अतिरिक्त 20 हजार रुपए वेतन दिया जाए। इसको लेकर कई बार मांग की गई है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। इसी विरोध में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन द्वारा शनिवार से सोमवार तक काली पट्टी बांधकर काम कर रहे है।
एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ. नयन जैन ने बताया कि राज्य शासन के सात जून 2021 को एक आदेश जारी किया था। जिसमें जूनियर डॉक्टरों के मासिक स्टाइपेंड में वृद्धि की गई थी। इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में उस वर्ष के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार वार्षिक वृद्धि का भी प्रावधान था। लेकिन अप्रैल 2022 के स्थान पर वृद्धि नवंबर 2022 में हुई और नवंबर 2022 के बाद अप्रैल 2023 में कोई वृद्धि नहीं हुई |
डॉ. नयन जैन का कहना है कि हमने मांग की है कि वेतन वृद्धि के काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इसके साथ ही मप्र के जूनियर डॉक्टरों का मासिक स्टाइपेंड एक लाख प्रतिमाह किया जाए। मप्र चिकित्सा शिक्षा की फीस बाकी राज्यों की तरह ही दस से 15 हजार रुपए की जाए। यूनिवर्सिटी फीस भी कम की जाए। मप्र में कार्यरत सभी जूनियर डॉक्टर को 5 वर्षों का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाए। मेडिकल कालेज में क्लीनिकल डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट्स की सीट बढ़ाई जाए और नान क्लीनिकल डिपार्टमेंट में भी सीनियर रेजिडेंट्स की सीट लाई जाए।

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