- आईएएस नेहा मारव्या की जांच रिपोर्ट पर अगले हफ्ते होगी सुनवाई
- आईएफएस अधिकारी एवं मिशन के सीईओ ने मनमर्जी से की नियुक्तियां, चहेतों को दिया भर्ती का ठेका
भोपाल। मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन में मनमानी नियुक्तियों को लेकर आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पर सरकार ने पिछले छह महीने से कोई कार्रवाई नहीं की थी। अब मप्र हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट को खोलने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान आदेश दिए कि जांच रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया जाए। अगले हफ्ते इस रिपोर्ट पर सुनवाई होगी। जांच रिपोर्ट में मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल पर मनमाने तरीके से नियुक्यिां करने और मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुषमा रानी शुक्ला पर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने पर आरोप है।
ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ बेलवाल पर प्रदेश के 29 जिलों से सूक्ष्म बीमा योजना के नाम पर स्वयं सहायता समूहों 2017 मे 1 करोड़ 78 लाख रुपए का प्रीमियम वसूलने एवं किसी भी बीमा कंपनी एवं बैंक में जमा नहीं करने के आरोप हैं। आईएएस नेहा मारव्या की जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि आजीविका मिशन की स्टेट प्रोजेक्ट ऑफिसर श्रीमती सुषमा रानी शुक्ला को फर्जी तथा जाली दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति की गई। मिशन में दो सैकड़ा से अधिक नियुक्तियों को करने का ठेका एक संस्था को दिया। जिसके एवज में 23 लाख से अधिक राशि का भुगतान किया गया। इन भर्तियों में बेलबाल ने मनमर्जी से नियुक्तियां की। स्कूलों में गणवेश उपलब्ध कराने के लिए महिला समूहों को काम देने की वजाए निजी दुकानदारों को ठेका देकर घटिया गुणवत्ता की गणवेशें खरीदी। समूहों पर दबाव बनाकर भुगतान कराया।
शिकायतकर्ता भोपाल निवास भूपेन्द्र कुमार प्रजापति की शिकायत पर आईएएस नेहा मारव्या ने जांच रिपोर्ट जून 2022 में प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास केा सौंप दी थी। इसके बाद शासन स्तर पर जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया। जिस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई में हाईकोर्ट जांच रिपोर्ट पर एक्शन ले सकता है।
जांच में इनका फर्जीवाड़ा उजागर
आईएएस नेहा मारव्या की 57 पेज की जांच रिपोर्ट में आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन वेलबाल, प्रोजेक्ट मैनेजर सुषमा रानी शुक्ला तथा एनआईआरडी हैदरावाद के निदेशक के विरुद्ध भारतीय दंड सहिता की 10 आपराधिक धाराओं सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीवद्ध करने की अनुशंसा की गई है। इसको लेकर मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी और पूर्व पंचयात मंत्री कमलेश्वर पटेल ने विधानससभा में भी यह मामला उठाया था। जब सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो शिकायतकर्ता भूपेन्द्र प्रजापित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जांच रिपोर्ट को हाईकोर्ट में पेश कर दिया है। जिस पर जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंदर सिंह की खंडपीठ द्वारा 16 जनवरी को सुनवाई की जाएगी। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, अंजनी कुमार ने की है।