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नई दिल्ली : राजधानी में रहने वाले एनिमल लवर्स के लिए एक गुड न्यूज है। दिल्ली के चिड़ियाघर में अब आम व्यक्ति, शैक्षिक संस्थान और निजी कंपनियां पशुओं को गोद लेकर वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में मदद कर सकते हैं। पशुओं को गोद लेने की एक योजना पर बीते पांच वर्ष से काम चल रहा था। हाल में यह इसकी शुरुआत की गई है और आम लोग, कॉरपोरेट सेक्टर, जानीमानी हस्तियां व शैक्षिक संस्थान आदि इसमें हिस्सा ले सकते हैं। इच्छुक लोग दिल्ली के चिड़ियाघर की वेबसाइट से एक फॉर्म डाउनलोड करने के बाद उसे भरकर प्रशासन को भेज सकते हैं जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
कोलकाता, कर्नाटक में पहले से लागू है योजना
कोलकाता प्राणी उद्यान, कर्नाटक के मैसूर चिड़ियाघर, ओडिशा के नंदनकानन चिड़ियाघर और विशाखापत्तनम चिड़ियाघर ने इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है। दिल्ली के चिड़ियाघर के निदेशक धर्मदेव राय ने कहा कि ‘ऑयल इंडिया’ ने एक साल के लिए छह-छह लाख रुपये में दो गैंडे गोद लिए हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने पक्षियों, सांपों और यहां तक कि हाथियों को गोद लेने में रुचि दिखाई है
लुप्तप्राय प्रजातियों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता में मदद
राय ने कहा कि लोगों की भागीदारी होने से चिड़ियाघर को लुप्तप्राय प्रजातियों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी। उनके योगदान से जानवरों के लिए मौजूदा सुविधाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। एक ‘जेबरा फिंच’ पक्षी को गोद लेने का खर्च 700 रुपये प्रति वर्ष जबकि शेर, बाघ, गेंडे और हाथी को गोद लेने का खर्च 6 लाख रुपये प्रति सालाना है।
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