सम्मेद शिखर को लेकर सड़कों पर उतरे आदिवासी, प्रदर्शन कर बोले- पहाड़ पर हमारा भी अधिकार
सम्मेद शिखर को लेकर मामला अभी भी उलझा हुआ है. जैन समाज के विरोध -प्रदर्शन के बाद अब आदिवासियों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. आदिवासी कम्युनिटी की मांग है कि पर्वत शिखर को मरांग बुरु स्थल घोषित किया जाए. इसी के साथ उन्हें अपनी पूजा पद्धति के हिसाब से पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए.
झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी को लेकर बवाल जारी है. दरअसल, झारखंड के आदिवासी समुदाय ने अब दावा किया है कि पूरा पारसनाथ पहाड़ हमारा है. ट्राइबल कम्युनिटी ने कहा है कि यह हमारा धर्मस्थान है. इसे लेकर आदिवासी कम्युनिटी ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
आदिवासियों का कहना है कि वे यहीं के रहने वाले हैं, पहाड़ पर उनका भी उतनी ही अधिकार है, जितना किसी और का है. वहीं इस मामले को लेकर पर्यटन सचिव मनोज कुमार और विभाग के मंत्री हफीजुल हसन ने कहा है कि सभी धर्मों की आस्था और भावना का ख्याल रखकर सरकार काम कर रही है. गिरिडीह में पारसनाथ प्राधिकार का गठन किया है, जो चंद दिनों में फंक्शनल हो जाएगा. इसमें 6 जैन समाज के लोगों का तो 3 स्थानीय को जगह दी जाएगी.
पर्यटन सचिव ने कहा है कि 8 जनवरी को एक ऐसी भी कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया गया है, जो लॉ एंड ऑर्डर से लेकर हर मामले का निपटारा करेगी. एसडीएम के नेतृत्व में इस कमेटी में स्थानीय और जैन दोनों को जगह दी जाएगी.
दरअसल, यहां पहले जैन समाज के लोग विरोध कर रहे थे. साल 2019 में पारसनाथ को इंटरनेशनल टूरिस्ट प्लेस के रूप में चिह्नित किया गया था. राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा था
इसी मामले में केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया था. इसमें पारसनाथ को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया था, इसके साथ ही कहा गया था कि यहां इको टूरिज्म एक्टिविटी यहां प्रमोट की जा सकती है.
जैन समाज ने कहा था- पर्यटन केंद्र बना तो खत्म हो जाएगी पवित्रता
इको टूरिज्म जोन को लेकर सरकार के कदम का विरोध जैन समाज ने शुरू कर दिया. दिल्ली से लेकर राजस्थान और गुजरात तक प्रदर्शन होने लगे. जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक मुलाकात की और कहा कि अगर यहां टूरिस्ट सेंटर बना तो यहां की पवित्रता नहीं रह पाएगी.
कहा गया कि टूरिस्ट सेंटर शुरू होने के बाद लोग यहां मांस, मदिरा का का सेवन शुरू कर देंगे. ट्रैकिंग और पिकनिक के लिए लोग आने लगेंगे. जैन समाज के प्रदर्शन को देखते हुए और हर तरफ से बढ़ते दबाव के बीच केंद्र ने अपने गजट नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी ।
आदिवासी बोले- हमें अपनी पद्धति से पूजा करने की छूट मिलनी चाहिए
इसके बाद अब आदिवासी समाज लगातार विरोध कर रहा है. आदिवासी समाज के लोग 10 जनवरी को पारंपरिक हथियार लेकर सड़कों पर उतरे. इनका कहना है कि उन्हें भी अपनी पद्धति से पूजा करने की छूट मिलनी चाहिए. पर्वत पर उनका भी अधिकार उतना ही है, जितना किसी और का. वे यहीं के हैं, इसलिए पर्वत शिखर को ‘मरांग बूरु’ स्थल घोषित किया जाना चाहिए.
प्रोग्रेस ऑफ इंडिया न्यूज