ग्वालियर,मध्यप्रदेश। शराब ठेकेदारों ने ऐसा ब्रेक लगाया कि बामुश्किल आबकारी विभाग को महंगी दुकानों का निष्पादन करना पड़ा ओर उसमें विभाग को 10 प्रतिशत लाभ की जगह 15 प्रतिशत जो आरक्षित मूल्य निर्धारित किया गया था उसमें ही शराब दुकानो को टेण्डर स्वीकृत करना पड़ा।
इसके पीछे कारण यह भी था कि नए वित्तीय साल के समाप्त होने मे मात्र एक दिन का समय है ओर ऐसे में अगर महंगी शराब दुकानो का निष्पादन नहीं किया जाता तो विभाग की काफी किरकिरी होती ओर स्वंय उक्त दुकानों का संचालन करना पड़ता।
नई आबकारी नीति आने के बाद से ही ठेकेदारों ने सस्ती शराब दुकानों का तो तत्काल 10 प्रतिशत अधिक राशि देकर रिन्युवल करा लिया गया था, लेकिन उसके बाद शहर में जो महंगी शराब दुकाने ही उनके लिए ठेकेदारों ने ऐसा ब्रेक लगाया कि आबकारी विभाग को कई दिनो तक ठेकेदारो को यह समझाने मे लग गए कि किसी भी तरह से वह दुकाने रिन्युवल करा ले, लेकिन ठेकेदारों ने भी मोनोपॉली बना ली थी ओर सोची समझी रणनीति के तहत वह आगे बढ़ रहे थे जिसके कारण कई बार ई टेण्डर डाले गए जिसमें 20 से 25 प्रतिशत राशि आरक्षित मूल्य से कम दर भरी गई थी जिसके कारण उक्त टेण्डरो को निरस्त करना पड़ा था।
यह प्रक्रिया करीब 4 बार विभाग को करना पड़ी। ठेकेदारों की मोनोपॉली को देखते हुए विभाग के अधिकारी भी यह समझ गए थे कि अब जो महंगी दुकाने है उन्हे आरक्षित मूल्य से कम में ही देना पड़ सकता है, लेकिन इसके लिए आबकारी आयुक्त ही अपनी सहमति दे सकते है तभी दुकानो का रिन्युवल हो सकता है। जब चार बार ई टेण्डर में आरक्षित मूल्य से दम दर दर्ज कराई गई तो ग्वालियर के आबकारी अधिकारियो ने यह प्रस्ताव आबकारी आयुक्त के समक्ष भेज दिया था, क्योकि निर्णय करने के लिए वह अधीकृत है ओर आखिर में मजबूर होकर महंगी शराब दुकानों को आरक्षित मूल्य से 15 प्रतिशत कम राशि पर ही रिन्युवल करना पड़ा जिससे विभाग को काफी नुकसान हुआ, क्योकि एक तो जहां 10 प्रतिशत अधिक राशि मिलती वह नही मिल सकी साथ ही आरक्षित मूल्य से 15 प्रतिशत कम राशि मिली, वैसे इसके बाद भी ग्वालियर जिले की 112 शराब दुकानो से विभाग को पिछले वित्तीय साल के अपेक्षा नए वित्तीय साल के लिए 28 करोड़ राशि अधिक मिल गई।
पुराने लायसेंसी ठेकेदारों ने जिले की जिन महंगी शराब दुकानों को नए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए रिन्यू नहीं कराया था, वह सारी दुकानें चार चरण की ई-टेंडर प्रक्रिया के बाद नीलाम हो पाई हैं। शासन को जिले की ऐसी 25 फीसदी दुकानों को आरक्षित मूल्य से 15 प्रतिशत कम कीमत में रिन्युवल करना पड़ा। इसके बावजूद जिले की कुल 112 शराब दुकानों से आबकारी विभाग को पिछले साल से नए वित्तीय वर्ष में करीब 28 करोड़ रुपए अधिक राजस्व प्राप्त हो सका।
मदिरा दुकानों से 426 करोड़ का मिलेगा राजस्व….
सहायक आबकरी आयुक्त संदीप शर्मा ने बताया कि विगत वर्ष 2022- 23 में जिले की शराब दुकानों से लगभग 398 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। नए वर्ष 2023-24 में लगभग 426 करोड़ रुपए में मदिरा दुकानों से राजस्व मिलेगा। जो कि विगत वर्ष से 7 प्रतिशत अधिक है। शर्मा ने बताया कि नवीनीकरण प्रक्रिया के जरिए जिले के 45 समूहों में से 75 फीसदी शराब दुकानें के ठेके पिछले साल की फीस से 10 प्रतिशत अधिक कीमत में हो गए थे। लेकिन रिन्यूवल से शेष रह गइंर् दुकानों का निष्पादन 4 चरणों के ई टेंडर के बाद कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला समिति ने किया। उन्होने बताया कि सिटी सेंटर, फूलबाग, रोशनीघर, अल्कापुरी, नाका चन्द्रबदनी, चेतकपुरी, गोविंदपुरी, लक्ष्मीगंज सहित अन्य दुकानें ऐसी है जो काफी महंगी है, उनको 15 प्रतिशत कम दर पर देना पड़ा।
ठेकेदार अपनी बात मनवाने मे रह सफल…..
शराब ठेकेदारों ने नई नीति बनने के बाद से ही यह तय कर लिया था कि सस्ती शराब दुकानों का रिन्युवल तो तत्काल करा लिया जाए, लेकिन जो महंगी शराब दुकाने है उनको लेकर एकजुट होकरल कदम रखे ओर उसमें वह सफल रहे। ठेके दार नई नीति के तहत अहाते बंद करने के निर्णय से नाराज थे ओर उनका कहना था कि इससे उनको नुकसान होगा तो उसका खामियाजा कौन भुगतेगा, यही कारण है कि जो शहर में महंगी शराब दुकाने थे उनको ठेकेदारों ने मोनोपॉली बनाकर आरक्षित मूल्य से 15 प्रतिशत कम राशि में लिया ओर उसके चलते विभाग भले ही अपना फायदा बता रहा है, लेकिन राजस्व में करीब 25 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।
इनका कहना है
नए वित्तीय साल के लिए जिले की सभी 112 शराब दुकानों को निष्पादन कर दिया गया है। अब महंगी शराब दुकाने भले ही आरक्षित मूल्य से 15 प्रतिशत कम दर पर गई है, लेकिन उसके बाद भी शराब दुकानों से पिछले साल से 28 करोड़ रूपए अधिक का राजस्व प्राप्त होगा। 1 अप्रैल से अहाता बंद हो रहे, जिसको लेकर सभी लायसेंसी ठेकेदारों को सूचित कर दिया गया है। – संदीप शर्मा, सहायक आबकारी आयुक्त,ग्वालियर