इंदौर। श्रीलंका सरकार ने चीन को बड़ा झटका दिया है। लंबे समय से हंबनटोटा में जिस मटाला राजपक्षे एयरपोर्ट के निर्माण में चीन मदद कर रहा था, उस एयरपोर्ट को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी श्रीलंका सरकार ने एक भारतीय और रूसी कंपनी को सौंप दी है। श्रीलंका सरकार ने शुक्रवार को कैबिनेट बैठक के बाद यह बड़ा फैसला लिया, जिसे चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
श्रीलंका सरकार के प्रवक्ता और मंत्री बंडुला गनवार्डेना ने इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि कैबिनेट बैठक में मटाला राजपक्षे प्रोजेक्ट के लिए रुचि पत्र मंगवाने को मंजूरी दे दी गई थी, इसके बाद कैबिनेट की सलाहकार समिति ने भारत की कंपनी एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूस की एयरपोर्ट्स ऑफ रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को 30 सालों के के लिए मटाला राजपक्षे एयरपोर्ट के प्रबंधन का जिम्मा सौंपा दिया है।
गौरतलब है कि हंबनटोटा स्थित मटाला राजपक्षे एयरपोर्ट के निर्माण में चीन ने श्रीलंका सरकार को वित्तीय मदद दी थी। तब चीन सरकार ने काफी ऊंची ब्याज दरों पर श्रीलंका सरकार को लोन दिया था। कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका को चीन की ओर से दिया जाने वाला ये कर्ज एक साजिश के तौर पर देखा जा रहा था। चीन के एक्जिम बैंक की ओर से मटाला राजपक्षे एयरपोर्ट के निर्माण के लिए करीब 19 करोड़ डॉलर की राशि दी थी। कई अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकार चीन ने इस प्रोजेक्ट के जरिए श्रीलंका को एक और बड़े कर्ज के जाल में फंसा लिया था।
मटाला राजपक्षे एयरपोर्ट को करीब 209 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार किया गया था, लेकिन उड़ानों की कमी के कारण यह एयरपोर्ट अब घाटे में जा रहा है और अब इसे दुनिया का सबसे खाली और सुनसान हवाई अड्डा करार दिया जाने लगा है। 2016 से श्रीलंका सरकार हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिए भागीदारों की तलाश कर रही थी, जिसे अब भारतीय कंपनियां संभालेंगी। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के नाम पर इस एयरपोर्ट का नाम रखा गया है।







