A+ गंवाने के डर से डीएवीवी ने NAAC के नए सिस्टम से शुरू की तैयारी, दो महीने में बनाना होगी रिपोर्ट

30 जून तक नैक में आवेदन नहीं किया है, लेकिन अब अप्रैल 2024 से लागू नैक के नए सिस्टम को अपनाने में लगा है। पिछले दिनों विश्वविद्यालय ने नैक के संबंध में बैठक बुलाई थी, जिसमें विभागाध्यक्षों को नए सिस्टम को समझाया। इसके तहत एक्रेडिएशन को लेकर विभागों की तैयारियां शुरू करवाने पर जोर दिया।
ए प्लस ग्रेड प्राप्त देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (नैक) के पुराने सिस्टम से संस्थान का आकलन नहीं करवाने का फैसला लिया है। ग्रेड गिरने के डर और अधूरी तैयारी के चलते विश्वविद्यालय ने ग्रेडिंग प्रक्रिया से खुद को अलग कर दिया है।
यही वजह है कि 30 जून तक नैक में आवेदन नहीं किया है, लेकिन अब अप्रैल 2024 से लागू नैक के नए सिस्टम को अपनाने में लगा है। पिछले दिनों विश्वविद्यालय ने नैक के संबंध में बैठक बुलाई थी, जिसमें विभागाध्यक्षों को नए सिस्टम को समझाया। इसके तहत एक्रेडिएशन को लेकर विभागों की तैयारियां शुरू करवाने पर जोर दिया।
नियुक्तियां व शोध कम
पिछले पांच साल में विश्वविद्यालय की स्थिति बिगड़ी है। पेपर लीग, नियुक्तियों कम, शोध कार्य में गिरवाट, परीक्षाएं और रिजल्ट में देरी जैसे कई प्रमुख वजह है। इसके चलते विश्वविद्यालय को डर था कि पिछली बार की ए प्लस ग्रेड भी बरकरार रखना मुश्किल है। इसके चलते विश्वविद्यालय ने पुराने सिस्टम से बाहर आया है।
सूत्रों के मुताबिक विशेषज्ञों से संस्थान की स्थिति के बारे में आकलन करवाया। उन्होंने कुलगुरु से लेकर कुलसचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों को ए प्लस भी मुश्किल से आना बताया। विशेषज्ञों ने बताया कि यूटीडी में शिक्षकों के 210 पद रिक्त है। 13 साल में विज्ञापन 92 पदों के लिए निकाला गया था, लेकिन भर्तियां 40 पदों पर हुई। यहां तक नियुक्तियों पर विवाद भी खड़े हुए है। इसके चलते विश्वविद्यालय ने नैक के नए सिस्टम में जाने में दिलचस्पी दिखाई।

अब दस मापदंड पर होगा आकलन

नैक का ग्रेडिंग सिस्टम एक दशक पुराना है, जिसमें 700 अंक सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) और 300 अंक पीयर टीम निरीक्षण के बाद देती थी। पहले 7 मापदंड व 130 बिंदुओं पर संस्थानों को जानकारी देना होती थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया खत्म हो गई है। अब संस्थान का आकलन दस मापदंड पर किया जाएगा, लेकिन इन पर खरा उतरना थोड़ा मुश्किल है।
नए भवन, शोध कार्य से जुड़े उपकरण, रिसर्च, पेटेंट की संख्या बढ़ाना होगी। इसके अलावा प्लेसमेंट भी बढ़ाना होंगे। साथ ही विद्यार्थी-शिक्षक का अनुपात बराबर करना होगा। उसके बाद संस्थान की रिपोर्ट पर एक्रिडिएशन या नॉन एक्रिडिएशन दिया जाएगा। इसके चलते संस्थानों के सामने चुनौती बढ़ गई है। उन्हें अब रिपोर्ट में आंकड़े मजबूत करने की जरूरत है।

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