Bhopal News: एम्स में आउटसोर्स के कामों में फर्जीवाड़ा, एक कंपनी को सौंपा नियम विरुद्ध काम, दूसरी को दी 72 लाख की माफी

प्रोग्रेस ऑफ इंडिया न्यूज भोपाल
एम्स भोपाल

भोपाल । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में हुए आडिट में आउटसोर्स पर होने वाले कामों में फर्जीवाड़ा सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक एम्स में हाउस कीपिंग और सिक्योरिटी सर्विसेज का काम संभालने वाली कंपनियों पर संस्थान के अधिकारियों ने जमकर मेहरबानी की है।

इन कंपनियों को न केवल नियम विरुद्ध टेंडर जारी किए, बल्कि गड़बड़ी करने पर जुर्माना तक नहीं वसूला गया। यह गड़बड़ियां अप्रैल 2019 से मार्च 2022 के बीच की गईं। केंद्र सरकार द्वारा कराए गए आडिट में यह गड़बड़ी सामने आई है। आडिट मुंबई की सेंट्रल इंटरनल कंपनी ने किया है।

ये गड़बड़ियां मिलीं

हाउसकीपिंग कंपनी का बिना नियम दो साल बढ़ाया टेंडर

एम्स की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक हाउस कीपिंग के काम के लिए फरवरी 2020 में बीवीजी प्रालि. नाम की कंपनी को एक साल का टेंडर जारी किया गया। एम्स प्रबंधन इस कंपनी को हर महीने 93 लाख रुपये का भुगतान करती है। 2021 में कार्य अवधि खत्म होने के बाद तत्कालीन एम्स प्रबंधन द्वारा तीन बार छह-छह महीने और दो बार तीन तीन माह का विस्तार दिया जा चुका है। इस दौरान कंपनी को काम पूरा न करने पर चेतावनी भी जारी की गई है।

72 लाख का जुर्माना छोड़ा

टेंडर की शर्तोँ में कंपनी द्वारा सामान पूरा न देने या गुणवत्ता सही न होने पर प्रति सामान प्रतिदिन चार हजार रुपये जुर्माने का प्राविधान भी था। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने करीब छह माह तक एम्स को 10 ट्राली नहीं दीं। टेंडर की शर्तों के अनुसार हर रोज कंपनी पर 4000 रुपये प्रति सामान के हिसाब से जुर्माना लगाया जाना था। इस हिसाब से 180 दिन में 10 ट्राली का जुर्माना 72 लाख रुपये हुआ। कंपनी ने अब तक जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं किया।

नियम विरुद्ध दिया गया टेंडर

संस्थान में सुरक्षा व्यवस्था के लिए ईशा प्रोक्टेक्शन गार्ड नाम की कंपनी को दिसंबर 2016 से 2021 तक टेंडर जारी किया गया। कंपनी ने काम करने के एवज में 0.001 फीसदी सर्विस चार्ज ही जोड़ा जो नगण्य माना जाता है। टेंडर नियमों के मुताबिक जो कंपनी सर्विस चार्ज नहीं लेती या बहुत कम लेती है, उसे संदेह के आधार पर टेंडर नहीं दिया जाता। यही नहीं ऐसे टेंडर की जांच कराई जाती है। इसके बावजूद एम्स प्रबंधन ने इस कंपनी को टेंडर जारी कर दिया। इस कंपनी को एम्स प्रबंधन 18 करोड़ रुपये का भुगतान प्रति वर्ष करता है। इसके एवज में कंपनी को करीब 1.6 करोड़ रुपये बैंक डिपोजिट जमा करना था। कंपनी ने सिर्फ 15 लाख रुपये की बैंक गारंटी के रूप जमा किए। कंपनी का टेंडर निरस्त करने के बजाय हर साल कंपनी को भुगतान किया जा रहा है। यही नहीं यह कंपनी 2021 से लगातार काम कर रही है।

आगे क्या

आडिट रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई है। रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने एम्स प्रबंधन से संबंधित जानकारी मांगी है।

मामला हमारे कार्यकाल के पहले का है, इसलिए उसके विषय में कुछ नहीं कह सकते। हालांकि आडिट में कुछ गड़बड़ियां पाई गई हैं। सरकार ने हमसे जानकारी मांगी है जो उन्हें दे रहे हैं। आडिट में जो कमी मिली हैं, उसका जबाव दे रहे हैं। अगर सरकार इससे संतुष्ट नहीं हुई तो फिर केंद्र सरकार की तरफ से ही दोषियों पर कार्रवाई होगी।

प्रोग्रेस ऑफ इंडिया न्यूज भोपाल

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