प्रदेश भर में स्वास्थ्य विभाग ने की छापामार कार्रवाई। भोपाल शहर में आठ अस्पतालों में मिली गड़बड़ी। तीन की जा सकती है मान्यता।
भोपाल।।।आयुष्मान भारत निरामयम योजना में निजी अस्पतालों ने सरकार को करोड़ों रुपये का चुना लगाया है। यह बात मंगलवार की गई छापामार कार्रवाई में सामने आई है। भोपाल शहर में ऐसे आठ निजी अस्पतालों की पहचान हुई है, जिन्होंने सर्दी, खासी, जुकाम, बुखार जैसी सामान्य बीमारी के मरीजों को जबरन भर्ती कर लिया। इन्हें गंभीर बीमारी बताकर सरकार से करोड़ों रुपये हड़प लिए हैं। इनमें से तीन अस्पताल तो ऐसे हैं जिन्होंने कागजों पर इलाज करके लाभ लिया है। इनकी मान्यता जानी तय बताई जा रही है। बाकी के अस्पतालों को आयुष्मान भारत निरामयम योजना से हटाया जा सकता है। जांच पूरी होने पर इनके खिलाफ सरकार के साथ धोखाखड़ी करने का केस भी दर्ज
मंगलवार को यह छापामार कार्रवाई प्रदेश भर में की है। जिसमें भोपाल शहर समेत जिले को मिलाकर 40 अस्पताल शामिल हैं। कार्रवाई राज्य स्वास्थ्य परिषद आयुष्मान भारत निरामयम योजना व स्वास्थ्य संचालनालय के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने की
बता दें कि सरकार को आयुष्मान भारत निरामयम योजना के तहत इलाज में गड़बड़ी करने व अधिक बिल लगाने वाले कुछ निजी अस्पतालों की लगातार शिकायतें मिल रही थी। इस आधार पर स्वास्थ्य संचालनालय ने शिकायतों की जांच के लिए टीमें बनाई थी। राजधानी भोपाल समेत आसपास के अस्पतालों के लिए 25 टीमें बनाई थी। इनमें शामिल अधिकारी सुबह करीब सवा नौ बजे पुराने व नए शहर, कोलार, भेल, बैरागढ़, पिपलानी, अशोक गार्डन, करोंद क्षेत्र में संचालित अस्पतालों में पहुंचे और जांच-पड़ताल शुरू कर दी। यह पड़ताल शाम छह बजे तक चली है। संबंधित अस्पतालों से दस्तावेज जब्त कर लिए
ये भी मिला
– स्वास्थ्य संचालनालय के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ अस्पतालों के कार्यालयों से मिले दस्तावेजों से पता चला है कि मरीज भर्ती नहीं हुए और उनके नाम पर बिल लगाएं गए थे और लाभ भी लिया गया है। वहीं जो मरीज भर्ती हुए थे, उन्हें जो बीमारियां नहीं थी, उसका भी बिल लगा दिया और भुगतान प्राप्त किया है। ये सभी मामले जांच में ले लिए गए हैं।
झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों के नाम पर अधिक फर्जीवाड़ा करने का अदेशा मिला है। आयुष्मान कार्ड ही सरकारी राशि हड़पने के नाम पर बनाने की बात सामने आई है, कुछ ऐसे मरीजों से भी संपर्क की बात सामने आई है, जिन्हें कभी अस्पताल जाने की जरुरत ही नहीं पड़ी है।
– एक मरीज के नाम पर तीन से पांच लाख रुपये अतिरिक्त भुगतान प्राप्त करने, समझदार मरीजों का इलाज नहीं करने संबंधी जानकारी भी मिली है।
कुछ अस्पतालों ने बिचौलियों को माध्यम बनाकर रुपये हड़पे हैं। बिचौलियों को प्रति बिल के हिसाब से कमीशन दिए जाने का अंदेशा है।
ये हो चुका
शहर के वैष्णव अस्पताल ने 60 मरीजों को भर्ती न कर उनके नाम पर पौने दो करोड़ का भुगतान लिया था। सरकार ने पांच लोगों पर एफआइआर की थी, इन्हें जेल जाना पड़ा था। 50 लाख रुपये का भुगतान रोका था
शिकायतों के आधार पर अस्पतालों में जांच कराई है। आगे भी जांच करेंगे। जब्त दस्तावेजों का सत्यापन किया जा रहा, जिन मरीजों के नाम पर राशि प्राप्त की है, उन मरीजों के बयान लेंगे। प्रत्येक पहलू के आधार पर जांच करने के बाद गड़बड़ी साबित हुई तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
– अनुराग चौधरी, सीईओ आयुष्मान भारत निरामयम योजना, मप्र
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