सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आरोग्य निरोगी काया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने प्रपत्रों की छपाई के नाम पर लाखों रुपये का गोलमाल कर दिया। विभाग द्वारा छपाई का काम करने वाली फर्म को लाखों रुपये का भुगतान कर दिया।
जबलपुर, । सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आरोग्य निरोगी काया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने प्रपत्रों की छपाई के नाम पर लाखों रुपये का गोलमाल कर दिया। विभाग द्वारा छपाई का काम करने वाली फर्म को लाखों रुपये का भुगतान कर दिया, परंतु मांग की तुलना में कम संख्या में प्रपत्र की आपूर्ति की गई, जिसके चलते हालात यह बने कि गैर संचारी रोगों की स्क्रीनिंग में जबलपुर पिछड़कर प्रदेश में 47वें स्थान पर आ गया। आशा कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद कर्मचारी संघ मैदान में कूदा और मुख्यमंत्री तक शिकायत की गई। शिकायत को सीएम मानिट में शामिल करते हुए सरकार ने जांच के निर्देश दिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एनएचएम के अधिकारियों की सख्ती के बाद क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डा. संजय मिश्रा ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर शिकायत की जांच के निर्देश दिए हैं।
यह है मामला-
गैर संचारी रोगों (नान-कम्युनिकेबल डिसीज) एवं टीबी का पता लगाने तथा समय पर मरीजों को उपचार सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने आरोग्यम निरोगी काया अभियान की घोषणा की थी, जिसके तहत स्वास्थ्य अमले को घर-घर जाकर 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की स्क्रीनिंग कर गैर संचारी रोगों का पता लगाना था। अभियान में आशा कार्यकर्ताओं व एनएनएम को स्क्रीनिंग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। निर्धारित आयु के लोगों की स्क्रीनिंग कर उनकी सेहत का ब्यौरा सी बैक फार्म में दर्ज किया जाना था। नागरिकों की स्क्रीनिंग के बाद इस फार्म को फैमिली फोल्डर प्रपत्र के साथ आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य विभाग में जमा करना था। परंतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में आशा कार्यकर्ताओं को फैमिली फोल्डर व सी बैक फार्म कम संख्या में दिए गए। नान-कम्युनिकेबल डिसीज का पता लगाने वाले अभियान में जबलपुर पिछड़ा तो भोपाल तक हल्ला मचा। जिलेभर की तमाम आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें सी बैक फार्म नहीं दिए। लोगों की स्क्रीनिंग कैसे संभव है। इसके बाद आशा कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से सी बैक फार्म न दिए जाने की शिकायत की। यह आरोप भी लगाए कि जिम्मेदार अधिकारियों ने दबाव बनाया था कि वे संबंधित प्रपत्र की फोटोकापी करवाकर स्क्रीनिंग करें। मामले ने तूूल पकड़ा जिसके बाद मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने प्रपत्रों की प्रिंटिंग में लाखों रुपये के गोलमाल का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री से शिकायत की।
संघ के आरोप-
संघ के तत्कालीन प्रांतीय महामंत्री योगेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि प्रपत्रों की छपाई न होने के बावजूद डीपीएम कार्यालय द्वारा लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। शिकायत में कहा गया कि शासन द्वारा फैमिली प्रपत्र व सी बैक फार्म की छपाई के लिए 15 लाख रुपये का बजट दिया गया था। जिले में 30 वर्ष से अधिक आयु की आबादी की स्क्रीनिंग के लिए 13 लाख से ज्यादा प्रपत्रों की आवश्यकता थी। जिसके विरुद्ध मात्र 22 हजार प्रपत्र उपलब्ध कराए गए। नोटशीट व स्टाक रजिस्टर में प्रपत्रों का वितरण शून्य पाया गया। प्रपत्रों की छपाई न होने के बावजूद डीपीएम कार्यालय द्वारा लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। लाखों के गबन के साथ ही सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में सर्वे कार्य को प्रभावित किया गया। उन्होंने तत्कालीन डीपीएम सुभाष शुक्ला व अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों पर मिलीभगत कर गबन के आरोप लगाए।
यह होना था योजना में-
असंचारी रोगों से ग्रस्त मरीजों की बीमारी की प्रारंभिक स्थिति में पहचान कर उन्हें उपचार सुविधा मुहैया कराना था। ताकि असंचारी रोगों के प्रति नागरिकों में जागरूकता का संचार हो और वे जीवनशैली में बदलाव कर असंचारी रोगों से अपना बचाव कर सकें। सर्वे में शुगर, उच्च रक्तचाप, कैंसर, हृदय रोग, टीबी जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों की खोज करना था। आशा कार्यकर्ताओं को फैमिली फोल्डर में संबंधित व्यक्ति के परिवार की जानकारी तथा सी बैक फार्म में बीमारियों का ब्यौरा देना था। जीवनशैली व रोगों के लक्षण के आधार पर सी बैक फार्म में अंक निर्धारित किए गए थे। चार से अधिक रिस्क स्कोर वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग कर प्राथमिकता के आधार पर ब्यौरा एनसीडी पोर्टल पर दर्ज करना था। ताकि ऐसे मरीजों को बेहतर उपचार देकर गैर संचारी रोगों के खतरे को दूर किया जा सके।
इनका कहना है-
फैमिली फोल्डर व सी बैक फार्म की प्रिंटिंग में तत्कालीन डीपीएम पर लाखों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक ने जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। तीन सदस्यीय टीम गठित कर 10 दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।-डा. संजय मिश्रा, क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं