चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव से पहले मंगलवार का दिन हरियाणा में सियासी हलचल का दिन रहा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ ही उनके पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया। दरअसल, हरियाणा की गठबंधन सरकार में शामिल दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के कारण ऐसा हुआ।
भाजपा के साथ लोकसभा चुनावों में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी, तो जेजेपी ने खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यही कारण रहा कि मनोहर लाल खट्टर को अपने मंत्रिमंडल समेत इस्तीफा देना पड़ा और अब दोबारा सरकार का गठन होगा।
खट्टर ही सीएम बनेंगे, लेकिन इस बार सरकार में जेजेपी नहीं होगी। निर्दलीय विधायकों का समर्थन होने के कारण सरकार को कोई खतरा नहीं है।
इस बीच, जेजेपी में भी फूट की आशंका है। दुष्यंत चौटाला ने विधायकों की बैठक बुलाई थी, लेकिन 10 में से 3 विधायक नहीं पहुंचे। ये विधायक हैं – देवेंद्र बबली, रामनिवास और रामकुमार गौतम।
इससे पहले खबर थी कि लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी और भाजपा के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। जेजेपी ने दो सीट मांगी है, उन्हें देने के लिए भाजपा तैयार नहीं है।
इसके बाद से माना जा रहा था कि जेजेपी मनोहर लाल खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। हालांकि इससे सरकार पर कोई खतरा नहीं है। हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीट है और बहुमत का आंकड़ा 46 है। अभी भाजपा के पास 41 विधायक हैं और 5 निर्दलीयों को समर्थन हासिल है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बीती रात भी विधायकों की बैठक बुलाई थी। निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया और उनसे समर्थन की चिट्ठी ली गई थी।
