उज्‍जैन का पहला पुल, जिस पर लोगाें को धूप-बारिश से बचाने के लिए लगेगी कैनोपी

धीरज गोमे। उज्जैन शहर के एक पुल पर लोगों को धूप-बरसात से बचाने के लिए कैनोपी लगाई जाने वाली है। खर्च डेढ़ करोड़ रुपये होना आंकलित किया है, जिसकी स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने मध्यप्रदेश शासन से चाही है। यदि कैनोपी लगती है तो ये शहर का पहला ऐसा पुल होगा जिससे गुजरने पर लोगों को तेज धूप और बरसात का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कैनोपी लगाने के लिए उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के पीछे, रूद्र सागर पर निर्माणाधिन पुल का चयन किया है। पुल, 200 मीटर लंबा और सात मीटर चौड़ा बन रहा है। कायदे से अनुबंध अनुसार इसका निर्माण छह महीने पहले ही पूर्ण हो जाना था मगर ऐसा नहीं हो सका। इसके विभिन्न कारणों में से मुख्य कारण स्मार्ट सिटी के अफसरों की लापरवाही है, जो ठेकेदार कंस्ट्रक्शनी को धरातल पर काम करने के लिए पहले समय-सीमा में ना ड्राइंग-डिजाइन उपलब्ध करा पाई ना फिर खाली साइट।
अपना गिरेबां बचाने को अफसरों ने लापरवाही ठेकेदार पर मढ़कर दो लाख रुपये की पेनल्टी जरूर लगा दी। मालूम हो कि पुल का निर्माण कार्य महाकाल महालोक परियोजना के दूसरे चरण अंतर्गत दो साल पहले मई- 2022 में शुरू किया गया था। तय हुआ था कि कंस्ट्रक्शन कंपनी 25 करोड़ 22 लाख रुपये 18 महीने में यानी नवंबर से पहले निर्माण कार्य पूर्ण करके देगी।
विधानसभा चुनाव- 2023 से पहले पुल का लोकार्पण कराने के लिए काम तेजी से खींचने को तत्कालीन कलेक्टरों ने प्रोजेक्ट पूरा करने की समय सीमा पहले जुलाई- 2023, फिर अगस्त 2023, फिर सितंबर 2023 निर्धारित की। प्रोजेक्ट स्थल पर डिजिटल टाइमर घड़ी भी लगाई। बावजूद काम गति नहीं पकड़ सका। वर्तमान कार्य को देखकर लगता है कि अभी चार महीने ओर पुल का निर्माण पूरा नहीं होने वाला।
पुल बनने पर महाकालेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एक नया रास्ता उपलब्ध हो जाएगा। पुल, का एक छोर चारधाम मंदिर स्थित पानी की टंकी के नजदीक माधवगंज हायर सेकंडरी स्कूल के सामने बन रहा है और दूसरा छोर श्री महाकाल महालोक में बने फेसिलिटी सेंटर-2 के सामने।
भविष्य में भीड़ प्रबंधन की द्ष्टि से ये पुल काफी मददगार साबित होगा। पुल के मध्य 19 मीटर चौड़ी जगह रखी गई है जहां कुछ देर खड़े रहकर लोग रुद्र सागर और आसपास की खूबसूरती निहार सकेंगे। यहीं से महाकालेश्वर मंदिर के शिखर के दर्शन भी कर सकेंगे। वर्तमान में मंदिर पहुंच के लिए एक रास्ता पूर्व दिशा में तोपखाना, महाकाल चौक होकर उपलब्ध है।
दूसरा रास्ता पश्चिम दिशा में सरस्वती शिशु मंदिर महाकालपुरम पहुंच मार्ग से जुड़ा है। तीसरा रास्ता, बेगमबाग वाला, जिसे अब नीलकंठ वन, भारत माता मंदिर पहुंच मार्ग कहा जाता है उपलब्ध है।
चौथा रास्ता, पश्चिम दिशा में त्रिवेणी कला संग्रहालय के सामने से श्री महाकाल महालोक के नंदी द्वार से होकर और पांचवां रास्ता बड़ा रूद्रसागर तरफ सरफेस पार्किंग के सामने बने पिनाकी द्वार से होकर उपलब्ध है।
छठां रास्ता हरसिद्धि शक्तिपीठ मंदिर चौराहे से होकर और सातवां रास्ता उत्तर दिशा में हेरिटेज धर्मशाला के समीप स्थित प्राचीन महाकाल द्वार के रूप में उपलब्ध है। ये सभी मार्ग भीड़ नियंत्रण में उपयोगी साबित होते हैं।
रूद्र सागर में पानी की स्क्रीन तैयार कर उस पे भव्य लाइट एंड साउंड शो दिखाने की तैयारी पर्यटन विभाग कर रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो इस वर्ष के अंत तक श्रद्धालु पुल पर से पानी की स्क्रीन पर भगवान शिव के प्राकट्य और उज्जयिनी की गौरव गाथा देख-सुन पाएंगे।
ये कार्य करने को दिल्ली की सीएस डायरेक्ट कंपनी को ढाई महीने पहले कार्य आदेश हो चुका है। इस कार्य के लिए 32 करोड़ रुपये स्वीकृत है। अनुबंध अनुसार अगले छह महीने में शो का सेटअप स्थापित कर शो का संचालन कंपनी को शुरू करना है।

 

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