एक दशक के बाद भी नहीं जुड़े इंदौर-खंडवा रेलमार्ग, महंगे सफर को यात्री हैं मजबूर

इंदौर। रेल लोक परिवहन का सबसे बेहतर, सस्ता और सुगम माध्यम है, लेकिन तंत्र की लापरवाही की वजह से एक दशक बीतने के बाद भी दो महत्वपूर्ण शहरों के बीच चल रहा कार्य पूरा नहीं हो सका है। इस वजह से लोगों को यात्रा के लिए खस्ताहाल सड़क मार्ग से सफर के लिए निर्भर होना पड़ रहा है, बल्कि ट्रेन के मुकाबले महंगी परिवहन सेवा का इस्तेमाल भी करना पड़ रहा है।
मीटरगेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के लिए खंडवा का इंदौर से रेल संपर्क टूटे एक दशक बीत गया है। इस दौरान खंडवा से सनावद तक का ही कार्य पूरा हो पाया है। अब सनावद से महू तक का कार्य बाकी है। उसमें बड़े पहाड़ और नर्मदा जैसी नदी के क्षेत्र में निर्माण की बड़ी बाधाएं हैं। इनसे पार पाकर कार्य पूरा करने में वर्षों लग जाएंगे।
बता दें कि मीटरगेज लाइन पर खंडवा से इंदौर का 138 साल पुराना संपर्क छह फरवरी 2015 को टूटा था। उस दिन अंतिम 52974 अकोला-इंदौर पैसेंजर ट्रेन पटरी पर दौड़ी थी। महू से इंदौर के बीच गेज परिवर्तन (कन्वर्जन) कार्य के चलते ट्रैक को बंद किया गया था। दावा किया गया था कि गेज कन्वर्जन के बाद 2022 में इंदौर से वाया खंडवा होकर मुंबई के लिए ट्रेनें चलना शुरू हो जाएंगी। अब अधिकारी दावा कर रहे हैं कि दो वर्ष में काम पूरा हो जाएगा।
वर्ष 1996 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सुरेश कलमाड़ी ने इंदौर-महू-खंडवा गेज कन्वर्जन के सर्वे की शुरुआत करवाई थी। महू-खंडवा गेज परिवर्तन प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में पूरा किया जाएगा। खंडवा से सनावद तक मेमू ट्रेन चलने लगी है। वहीं महू-सनावद ब्रॉडगेज लाइन के नए अलाइनमेंट के अनुसार ट्रैक पातालपानी से डायवर्ट हो जाएगा, जो बढ़िया, बेका, कुलथाना, राजपुरा होते हुए चोरल पहुंचेगा।
मुख्त्यारा बलवाड़ा के करीब छह किमी पहले लाइन को पुरानी मीटरगेज लाइन के साथ जोड़ा जाएगा। 71 किमी लंबे इस रेलखंड में छोटी-बड़ी 21 टनल बनाई जाएंगी। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण 36 मेजर ब्रिज, 76 माइनर ब्रिज, 12 अंडर ब्रिज, ओवर ब्रिज बनाएंगे। इस प्रोजेक्ट को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

 

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