जिन 161 सीटों पर हारी भाजपा, वहां 5 साल से चल रही सेंध की राजनीति

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जहां आत्मविश्वास के साथ 370 पार का लक्ष्य तय किया है, लेकिन सियासी पंडित प्रश्न खड़ा कर रहे हैं कि भाजपा आखिर इतने विशाल लक्ष्य को कैसा पाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात के अलावा हिंदी पट्टी के मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हरियाणा जैसे राज्यों में जहां भाजपा अपना बेहतर प्रदर्शन कर चुकी है। ऐसे में वहां बढ़त की कितनी गुंजाइश बची है कि आंकड़ा 370 तक पहुंच जाए?
भाजपा 370 का लक्ष्य कैसे प्राप्त करेगी? इस प्रश्न का जवाब भाजपा की उस रणनीति में छुपा हुआ है, जिसमें उसने बड़े लक्ष्य का यह बिगुल जिताऊ जमीन के बजाय विपक्ष के मजबूत किलों में सेंध लगाने की रणनीति पर तय किया है। भारतीय जनता पार्टी की नजर बीते लोकसभा चुनाव में हारी हुई उन 161 सीटों पर है, जहां अब सेंध लगाने की रणनीति पर काम हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार भाजपा को 370 और राजग को 400 पार सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकर्ताओं को समझाया है कि यदि हर बूथ पर 2019 के चुनाव में मिले वोट से 370 अतिरिक्त वोट भी जुटा लिए तो इस बड़े लक्ष्य को बगैर किसी मुसीबत के पूरा किया जा सकता है।
बीते दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हारी हुई सीटों पर जीत के लिए 5 वर्ष की रणनीति के अनुसार काम का ब्यौरा सार्वजनिक किया था। इस दौरान जेपी नड्डा ने बताया कि 161 हारी हुई सीटों पर केंद्रीय मंत्रियों ने कुल 430 प्रवास किए। हर सीट पर केंद्रीय मंत्रियों के करीब 3-3 प्रवास हुए हैं। साथ स्थानीय स्तर पर भी संगठन की गतिविधियां बढ़ी है।
इसके अलावा इन 161 लोकसभा सीटों पर केंद्र सरकार की बड़ी परियोजनाओं को शुरू कराया और केंद्रीय योजनाओं का बड़ा लाभार्थी वोट बैंक बनाने की कोशिश की गई है। सूत्रों के अनुसार, इन सीटों को भी कठिन, औसत और तुलनात्मक रूप से सरल मानते हुए ए, बी और सी श्रेणी में बांटा गया। भाजपा नेतृत्व मानता है कि 100 से अधिक सीटों पर उसके प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।

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