इंदौर । कला के क्षेत्र में इंदौर के नाम पर एक और उपलब्धि शामिल हो गई है। देश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित मूर्तियों में शहर का अहम योगदान है और इस बार इसका उदाहरण एक बार फिर शुक्रवार को देखने को मिला। वस्तुत: वाराणसी के गोवर्धनपुर गांव में शुक्रवार को संत रविदास की जिस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया, उसे इंदौर के कलाकार ने गढ़ा है। यही नहीं, प्रतिमा तैयार भी इंदौर में ही की गई और फिर उसे सड़क मार्ग से वाराणसी ले जाकर स्थापित किया गया। संत रविदास की यह प्रतिमा शहर के मूर्तिकार महेंद्र कोडवानी ने अपने 10 अन्य साथी कलाकारों के साथ तैयार की है।
इस प्रतिमा के निर्माण के बारे में महेंद्र कोडवानी बताते हैं कि उन्हें 25 फीट ऊंची इस प्रतिमा को बनाने में एक वर्ष का समय लगा। पांच टन वजनी यह मूर्ति कई धातुओं के सम्मिश्रण से तैयार की गई। इसमें 80 से 85 प्रतिशत तांबा, पांच प्रतिशत टीन और शेष भाग में सीसा, जस्ता, चांदी व सोने का उपयोग किया गया है। इसे बनाने से पहले मिट्टी की आठ इंच मूर्ति का नमूना बनाया गया, जिसे देखकर बड़ी प्रतिमा बनाने की अनुमति मिली। बाद में धातु पिघलाकर मूर्ति बनाने की पद्धति से यह प्रतिमा तैयार की गई। यह प्रतिमा उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विभाग के निर्देश पर तैयार की गई है।
महेंद्र कहते हैं कि वरदमुद्रा (आशीर्वाद देते हुए मुद्रा) वाली इस प्रतिमा को बनाने के लिए संत रविदास के चेहरे के भाव, दाढ़ी और शाल ओढ़ने के तरीके पर बारीकी से अध्ययन किया गया। इसके लिए कई बार मिट्टी से बनने वाले माडल में बदलाव भी करना पड़ा, ताकि किसी तरह की त्रुटि न रहे। बड़ी मूर्ति बनाना चुनौतीपूर्ण इसलिए है क्योंकि उसमें भाव आदि का अत्यंत बारीकी से ध्यान रखना पड़ता है। यदि जरा-सी भी गलती हो जाए, तो समय और धातु दोनों ही बर्बाद हो सकते हैं।
