बैंक प्रबंधक समेत तीन को झांसा देकर ₹84 लाख ठगे, टाटा संस ने बढ़ाया रॉयल्टी शुल्क

नई दिल्ली | महाराष्ट्र के पालघर जिले में पुलिस ने एक निजी बैंक प्रबंधक और दो अन्य को निवेश पर मोटे मुनाफा का झांसा देकर कथित तौर पर 84 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के मामले में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
मार्च और अप्रैल के बीच दो आरोपियों ने वसई निवासी बैंक प्रबंधक को आईपीओ और शेयर खरीदने के लिए फुसलाया। बाद में उनके भाई और दोस्त भी इसमें शामिल हो गए। अधिकारी ने कहा कि तीनों शिकायतकर्ताओं ने कुल 84.63 लाख रुपये का निवेश किया।
हालांकि, जब तीनों ने अपने निवेश पर रिटर्न मांगा, तो आरोपियों ने उनसे संपर्क करना बंद कर दिया। यह महसूस होने पर कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है, तीनों ने पुलिस से संपर्क किया। अधिकारी ने बताया कि मानिकपुर पुलिस ने बुधवार को धोखाधड़ी के आरोप में सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
टाटा ब्रांड का स्वामित्व रखने वाले टाटा संस ने अपना रॉयल्टी शुल्क दोगुना कर 200 करोड़ रुपये कर दिया है। इस रॉयल्टी शुल्क का भुगतान टीसीएस, टाटा स्टील और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां टाटा ब्रांड नाम का उपयोग करने के लिए करती हैं। टाटा संस ने रॉयल्टी शुल्क 100 करोड़ रुपये तय करने के पांच साल बाद अब इसे दोगुना कर दिया है।
टाटा समूह की कंपनी टीसीएस ने शेयरधारकों को जानकारी दी है कि उसने वित्त वर्ष 2024 में टाटा संस को 200 करोड़ रुपये का रॉयल्टी भुगतान किया है। टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने 1996 में ब्रांड सदस्यता योजना शुरू की थी, जिसके तहत सीधे टाटा नाम का उपयोग करने वाली समूह की कंपनियों को अपने वार्षिक राजस्व का 0.25% या अपने कर-पूर्व लाभ का 5%, जो भी कम हो, रॉयल्टी शुल्क के रूप में देना होता है। जबकि अप्रत्यक्ष रूप से टाटा ब्रांड नाम का उपयोग करने वाली समूह की इकाइयों को अपने वार्षिक राजस्व का 0.15% का भुगतान करना पड़ता है।

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