मालवा-निमाड़ क्षेत्र में बने तीन अभयारण्‍यों में सुविधा का अभाव, न गांधीसागर में चीते आए, न सरदारपुर में खरमोर

मालवा-निमाड़। विपुल प्राकृतिक संपदा समेटे मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कहने को तीन अभयारण्य क्रमश: गांधीसागर, खिवनी, खरमोर हैं, लेकिन सुविधाओं और पशु-पक्षियों को लेकर यहां अभी इंतजार ही हो रहा है। गांधीसागर अभयारण्य को चीतों के नए घर के रूप में विकसित करने की तैयारी चीतों के भारत आने के बाद से की जा रही है लेकिन यहां काम अब तक पूरा नहीं हो सका है। धार के खरमोर अभयारण्य में शासन प्रतिवर्ष लाखों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन उसका वह उद्देश्य पूर्ण नहीं हो रहा है।
जिन खरमोर पक्षियों के लिए अभयारण्य विकसित किया गया है उनकी यहां आमद नहीं हो रही है। इसी तरह खिवनी अभयारण्य में पर्यटक सुविधाओं का आभाव है। जनप्रतिनिधियों के प्रयासों में कमी और जिम्मेदारों की उदासीनता से कहीं भी स्थिति बेहतर नहीं हो पा रही है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल धार जिले में खरमोर अभयारण्य स्थित है। यह सरदारपुर तहसील के ग्राम पानपुरा के घास के मैदान में 348 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। खरमोर पक्षी यहां पर नहीं के बराबर आ रहा है। 2023 की बात करें तो यहां पर एक भी पक्षी नहीं आया था। फिर भी इसके रखरखाव के नाम पर ही हर साल 20-25 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं।
वहीं खरमोर अभयारण्य के कारण करीब 14 गांव के किसानों को परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है। केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय के अधीन होने के कारण यहां एक अधिसूचना जारी है। इस कारण किसान जमीन को बेचने व खरीदने का कार्य नहीं कर पाते हैं। नोटरी के आधार पर ही जमीन का आदान-प्रदान करना होता है। इसमें सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल जरूर अपने स्तर पर प्रयास करते रहे हैं। ग्रेवाल ने बताया कि किसानों की समस्या को लेकर हम लगातार प्रयास करते हैं।
मंदसौर जिले में गांधी सागर अभयारण्य को विकसित किया जा रहा है। अभी यहां तेंदुआ, भालू, हिरण, नीलगाय सहित कई वन्य प्राणी हैं। वहीं 225 तरह की पक्षी प्रजातियां भी मौजूद हैं। अब चीतों के लिए भी तैयारी की जा रही है। अभयारण्य में सभी व्यवस्थाएं भी हैं और गांधी सागर बांध का जलभराव क्षेत्र भी है। पर्यटकों के रुकने के लिए मप्र पर्यटन विभाग का हाेटल है। लेकिन बावजूद इसके बजट अभी कम ही मिलता है। चीतों को लाने की तैयारी दो साल से जारी है पर फिलहाल इंतजार के सिवाय कुछ नहीं मिला।
देवास जिले में खिवनी वन्य प्राणी अभयारण्य स्थित है। इसमें सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद होने का दावा किया जाता है लेकिन हकीकत में स्थिति वैसी नहीं है। वन्य प्राणी अभयारण्य में लगभग आठ बाघ भी हैं। पर्यटकों के रुकने के लिए यहां व्यवस्थाएं तो है लेकिन इसमें काफी सुधार की जरूरत महसूस होती है। 134 वर्ग किलोमीटर में फैले पूरे अभयारण्य में तेंदुआ, भालू, चीतल, काला हिरण सहित सैकड़ों प्रजाति के पक्षी और सरीसृप भी मौजूद हैं। परंतु अभयारण्य के कुछ हिस्सों में फेंसिंग नहीं होने से अनाधिकृत आवाजाही होती है। आसपास के गांवों के लोग भी आते-जाते रहते हैं।
राज्य सरकार ने निमाड़ क्षेत्र के बुरहानपुर में सघन वन क्षेत्र को देखते हुए यहां नया अभयारण्य गठन के निर्देश दिए थे। इसके बाद सर्वे आदि कर व्यवस्थाएं जुटाने की बात भी कही गई थी लेकिन दो साल बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस है। अभयारण्य फाइलों से बाहर नहीं आ पाया है।

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