मुख्य मंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया बड़ा एलान, टंट्या मामा के नाम पर प्रदेश में स्थापित होगा विश्वविद्यालय

मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने नूतन कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा विविध संदर्भ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा ज्ञान को किसी सीमा में बांधने में विश्वास नहीं करती। ऋग्वेद के अनुसार, ज्ञान जहां से भी आए उसे स्वीकार करना चाहिए। पश्चिम में पेटेंट की व्यवस्था है, जो ज्ञान से हित अर्जन पर आधारित है। जबकि भारत में ऋषि परंपरा को किसी राज्य की सीमा में नहीं रोका गया। विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा में शोध को प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में जननायक क्रांति सूर्य टंट्या मामा के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है।
राज्य सरकर द्वारा प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को अब इतना आकर्षक बनाया जाएगा कि देश के साथ-साथ विदेशों के विद्यार्थी भी यहां पढ़ने के लिए आना चाहेंगे ।
वहीं कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन किया है। भारत से प्राप्त ज्ञान कर ही अरब, यूरोप, मध्य एशिया, पूर्वी और दक्षिण एशियाई देशों में गणित, ज्योतिष, खगोल, चिकित्सा और अध्यात्म संबंधी ज्ञान का प्रसार हुआ है।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को विश्व गुरु बनाने का महायज्ञ है।
इस दौरान राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने रिमोट से नूतन कालेज के 860.82 लाख के विस्तारीकरण, नवीनीकरण, बैरियर-फ्री कार्य और शासकीय महाविद्यालय सिराली हरदा के 617.82 लाख की लागत से बने नवीन भवन का लोकार्पण किया।उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश में राज्य स्तर पर और सभी विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ गठित किए जाएंगे।शिक्षा के माध्यम से भारत को वर्ष 2047 तक विश्व गुरु बनाने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।

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