अंकिता पाटकर ने बताया कि सरकारी कोचिंग से छह माह पढ़ाई की और सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। यूट्यूब से भी मिली मदद।
जरूरी नहीं कि महंगी कोचिंग और बहुत अधिक पैसा खर्च करने पर ही बड़े एग्जाम में सफलता मिलती है। एमपी पीएससी में टॉप करने वाली अंकिता पाटकर ने बिना किसी महंगी कोचिंग के यह उपलब्धि हासिल की है। अंकिता ने वर्ष 2018-19 में शासन द्वारा ओबीसी के बच्चों को दी जाने वाली फ्री पीएससी की कोचिंग 6 महीने की थी। उसके बाद कोरोना लगने से कोचिंग बंद हो गई, लेकिन अंकिता ने पढ़ाई जारी रखी, सेल्फ स्टडी के दम उसने 942 अंक प्राप्त कर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया
शहर के एक साधारण परिवार में 5 बहनों में सबसे छोटी अंकिता की उपलब्धि उन सब बच्चों के लिए प्रेरणा है, जो संसाधनों के अभाव का रोना रोते है। अंकिता के पिता मध्यप्रदेश राज्य परिवहन में कर्मचारी थे। विभाग बंद होने के बाद वह पोस्ट ऑफिस में बतौर एजेंट काम करने लगे। बहुत मामूली आय में उन्होंने न केवल परिवार का भरण-पोषण किया बल्कि सभी बच्चों को उच्च शिक्षित किया। अंकिता के परिवार में 6 भाई-बहन, मम्मी -पापा सहित 8 सदस्य हैं। भाई सबसे छोटा है और पांच बहनों के अंकिता सबसे छोटी है। अंकिता का पीएससी में यह तीसरा प्रयास था। वर्तमान में वह ओबेदुल्लागंज ब्लॉक में सहायक विस्तार अधिकारी हैं। इससे पहले वह प्राथमिक शिक्षक भी रह चुकी हैं। नौकरी के साथ ही उसने यह सफलता पाई है। अंकिता ने बताया यदि आपका लक्ष्य स्पष्ट हो और सतत तैयारी हो तो सफलता निश्चित मिलती है।
अंकिता ने बताया कि इंटरनेट मीडिया बुरा नहीं है, बस हमें यह देखना होगा कि हम उसका उपयोग कैसे करते है। मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त करने में इंटरनेट मीडिया ने बहुत मदद की है। जो टॉपिक मुझे समझना होता तो मैं यूट्यूब पर उसे सर्च करती और मेरे पास उसे समझने के ढेर सारे विकल्प होते और जब भारीपन लगता तो यही इंटरनेट मीडिया मेरा मनोरंजन करता। हर चीज के अच्छे-बुरे दोनों पहलू होते हैं। हम किसे देखते हैं, ये हम पर निर्भर है।